नेपाली कामदार युवाओं का सबसे पसंदीदा देश —खाड़ी और मलेशिया - Nai Ummid

नेपाली कामदार युवाओं का सबसे पसंदीदा देश —खाड़ी और मलेशिया

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नेपाली युवा को विदेशी रोजगार सबसे अधिक पसन्द है। यही कारण है पिछले दो वर्षों में ही 14 लाख युवा विदेशी रोजगार के लिए विदेश चले गए हैं। विदेश रोजगार विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, बीते दो सालों में 12,80,162 पुरुष और 1,21,262 महिलाएं विदेश की ओर रूख किया । 

विदेशी रोजगार के लिए नेपाली श्रमिकों का मुख्य गंतव्य खाड़ी देश और मलेशिया हैं। करीब 80 फीसदी नेपाली कामगार खाड़ी और मलेशिया चले गये। आंकड़ों के मुताबिक पिछले पांच वर्षों में 14,46,071 श्रमिक (केवल नए श्रमिक परमिट वाले) विभिन्न खाड़ी देशों और मलेशिया गए । विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, खाड़ी देशों में से कतर 3,33,521 लोग गए । आंकड़ों से पता चलता है कि खाड़ी देशों में सबसे ज्यादा संख्या में नेपाली कामगार कतर गए। पिछले वर्ष 079/80 में 40,517 नेपाली कामगार कतर पहुंचे। इसी तरह 078/79 में 76,823 और 077/78 में 22,131 श्रमिक कतर गये। 076/77 में 29,835 लोग कतर गये, जबकि 075/76 में 1,61,215 नेपाली कामगार कतर गये। 

यहॉं यह बता दें कि हाल ही में खाड़ी देशों में कतर आर्थिक रूप से मजबूत हुआ है। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार, कतार द्वारा प्रवासी श्रमिकों को भी सेवाएँ और सुविधाएँ प्रदान करने के बाद यह एक आकर्षक गंतव्य बन गया है। इसी तरह, कतर ने हाल ही में संपन्न विश्व कप के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए कई प्रवासी श्रमिकों को अपने यहॉं लाया।

कतर के बाद, मलेशिया नेपाली श्रमिकों का मुख्य गंतव्य है। पांच साल की अवधि में 3,68,868 नेपाली कामगार मलेशिया पहुंचे । मलेशिया ने पिछले साल ही प्रवासी श्रमिकों का वेतन बढ़ाया था। कोविड के बाद बहुराष्ट्रीय कंपनियॉं यहॉं आये । खाड़ी देशों की तुलना में नेपाली श्रमिक मलेशिया को चुनते हैं क्योंकि इस देश में प्रवासी श्रमिकों को अधिक स्वतंत्रता है।

यह किसी से छुपा नहीं है कि कोविड महामारी के बाद दुनिया के तमाम देश आर्थिक संकट से जुझ रहे हैं।  मौजूदा उद्योग-धंधे चौपट होने लगे हैं, जबकि नये उद्योग-धंधे गति नहीं पकड़ पा रहा हैं। भले ही विकसित देशों ने कोविड के बाद नए उद्योगों और संभावनाओं की तलाश की है, लेकिन नेपाल को ज्यादा गति नहीं मिल पाई है। फॉरेन एम्प्लॉयमेंट प्रोफेशनल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेंद्र भंडारी के मुताबिक इन कारणों से युवाओं का पलायन बढ़ा है।

विभाग के आंकड़ों के मुताबिक वित्तीय वर्ष 079/80 में ही 7,71,327 युवा रोजगार के लिए विदेश पलायन कर गये जिसमें 6,99,193 पुरुष और 72,134 महिलाएं शामिल हैं। इसी प्रकार वर्ष 078/79 में 6,30,097 युवा विदेश गये । विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, इनमें 5,80,969 पुरुष और 49,128 महिलाएं शामिल हैं।

पिछले पांच साल में 3,61,667 नेपाली कामगार सऊदी अरब गए। भौगोलिक दृष्टि से सऊदी अरब अन्य देशों से बड़ा है। सऊदी अरब ने नए बुनियादी ढांचे के निर्माण और कंपनियों के संचालन को प्रोत्साहित किया है जिससे कई प्रवासी श्रमिक यहॉं आए । हालाँकि, नेपाल ने सऊदी अरब के साथ श्रम समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किया हैं। हालांकि यह समझौता 10 साल से तैयार है, लेकिन अब तक पूरा नहीं हो सका है।

नेपाली कामगारों के लिए एक और आकर्षक गंतव्य संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) है, जहां पांच साल में 2,96,545 युवा जा चुके हैं। इस देश ने प्रवासी श्रमिकों के लिए एक ढीली नीति बनाई है। विजिट वीजा पर यूएई जाने वाले लोगों की संख्या बढ़ गई है क्योंकि विजिट वीजा पर लोग आसानी से अपना वर्किंग वीजा बदल सकते हैं। हालाँकि, संयुक्त अरब अमीरात में ऐसी भी कई घटनाएं हुई हैं जहां दलाल उन्हें विजिट वीजा पर ले गए और उन्हें वहीं छोड़ दिया।

विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, पांच साल में 89,168 नेपाली कामगार कुवैत गए । 26,669 बहरीन गए और 15 हजार 331 लोग ओमान पहुंचे।

यूरोप की ओर रुख 

खाड़ी और मलेशिया के साथ-साथ नेपाली कामगार अब यूरोपीय देशों की ओर रुख कर रहे हैं। खाड़ी और मलेशिया की तुलना में, यूरोपीय देशों द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाएँ और सुविधाएँ बेहतर हैं । यही कारण है कि नेपाली श्रमिकों ने यूरोप का रुख किया है क्योंकि वे अपने परिवारों को अपने साथ ले जा सकते हैं।  हालाँकि, सरकार ने अभी तक किसी भी यूरोपीय देश के साथ श्रम समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किया है। हालाँकि, कुछ नेपालियों ने जनशक्ति कंपनियों के माध्यम से और व्यक्तिगत रूप से वर्क परमिट के साथ यूरोप के विभिन्न देशों में जाना शुरू कर दिया है। यूरोपीय देशों में साइप्रस, पोलैंड, रोमानिया, तुर्की, माल्टा, जर्मनी, पुर्तगाल और अन्य देशों में जाना शुरू हो गया है। विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले पांच साल में 12,296 नेपाली कामगार वर्क परमिट के साथ साइप्रस गए । पिछले साल केवल 4,275 युवाओं को साइप्रस के लिए विभाग से वर्क परमिट प्राप्त हुआ था। इसी तरह, पिछले पांच वर्षों में 24,636 नेपालियों ने रोमानिया जाने के लिए विभाग से वर्क परमिट लिया। पिछले साल ही 13,137 लोग रोमानिया गए थे। वहीं पांच साल में 10,352 नेपाली कामगार माल्टा पहुंचे । विभाग के आंकड़ों के अनुसार, 5,603 लोगों ने माल्टा के लिए वर्क परमिट प्राप्त किया था । इसी तरह, उस दौरान 8,249 लोग पोलैंड गए। चार हजार तीन सौ नौ लोग तुर्की गए हैं और एक हजार नौ सौ बावन लोग पुर्तगाल पहुंचे हैं।

देखा जाए तो अ​धिकतर नेपाली युवाओं का लक्ष्य विदेशी रोजगार रहता है। यही वजह है प्रत्येक वर्ष विदेश जाने वाले लोगों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। वैसे भी देश की आर्थक अवस्था क​ठिन डगर पर है। ऐसे में यह आशंका है कि विदेशी रोजगार जाने वाले लोगों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हो सकती है। 

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