नेपाल में खाद्य संकट की चेतावनी
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विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इस साल नेपाल में खाद्य संकट पैदा हो जाएगा। इसके कारणों पर प्रकाश डालते हुए विशेषज्ञों का सुझाव है कि सरकार को खाद्य चक्र को सुविधाजनक बनाने के लिए एक विशेष कार्यक्रम लागू करना चाहिए क्योंकि सर्दियों में बारिश की आवश्यकता नहीं होती है और आने वाले मानसून में कम बारिश होगी।
नेपाल में इस वर्ष के शुष्क मौसम में वर्षा की कमी के कारण पूरे खाद्य तंत्र और पर्यावरणीय समस्याओं में समस्या होने की बात को लेकर सरकार को सतर्क कर दिया गया है। विशेषज्ञों ने कहा कि पिछले साल की सर्दियों में आवश्यकता से कम बारिश हुई और सूखे के मौसम में भी सूखा पड़ा। ऐसे हालात में भुखमरी की समस्या उत्पन्न हो सकती है। इसलिए इससे निपटने के लिए तैयार रहें ।
जलवायु एवं आपदा विशेषज्ञ डॉ. धर्म उप्रेती ने कहा कि इस बरसात के मौसम में पर्याप्त बारिश की संभावना कम है। ऐसे में सरकार को खाद्य सुरक्षा के लिए आवश्यक रणनीति तैयार करनी चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि गेहूं, चावल, मक्का आदि फसलों का उत्पादन घटेगा और ऐसी स्थिति हो सकती है जहां खाद्यान्न को पहले से ज्यादा आयात करने की जरूरत पड़े।
उन्होंने आगे कहा कि "हमें अपनी सर्दियों की बारिश का केवल 21 प्रतिशत ही मिला है। वर्षा बहुत कम होती है। ऐसे में अकाल जैसी स्थिति उत्पन्न् होती है। मुझे जो जानकारी मिली है, उसके अनुसार गेहूं की कीमत तेजी से बढ़ी है। व्यापारियों ने गेहूं के दाम बढ़ा दिए हैं। इसका सीधा असर गेहूं के आयात पर पड़ा ।
उन्होंने बताया कि इस साल बारिश के मौसम में औसत से कम बारिश होने की संभावना हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि चूंकि अनुमान है कि इस बार दक्षिण एशिया क्षेत्र में बारिश कम होगी, इसलिए इसका असर नेपाल पर भी पड़ेगा।
दूसरी ओर, सरकार ने कहा है कि वह खाद्यान्न के भंडारण की आवश्यकता से अवगत है, यह कहते हुए कि मौसम विज्ञानियों ने अनुमान लगाया है कि आने वाले मानसून के मौसम में कम वर्षा होगी। उधर कहा जा रहा है कि विशेषज्ञों की बात को संज्ञान में लेते हुए सरकार ने मौसम वैज्ञानिकों के पूर्वानुमान के अनुसार आवश्यक रणनीति बनाने में जुट गयी है।
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