दिग्गजों के लिए ‘सबक’ बनकर रह गया यह चुनाव - Nai Ummid

दिग्गजों के लिए ‘सबक’ बनकर रह गया यह चुनाव


वि.सं. 2079 का चुनाव कईयों के लिए सबक बनकर आया। चुनावी परिणाम ने यह साबित कर दिया कि जनता सर्वोपरि है। वह जिसे सिर पर उठाती है उसे जमीन पर उतारने में भी देर नहीं लगता। कुछ ऐसा ही हाल मधेश प्रदेश में देखने को मिला जिसमें कई दिग्गज अपनी सीट बचाने में नाकामयाब रहे।

प्रतिनिधि सभा और प्रदेश सभा चुनावों में मधेश प्रदेश में 18 पूर्व मंत्रियों को हार का मुंह देखना पड़ा। सप्तरी की बात करें तो यहां पर सप्तरी के क्षेत्र नं. 2 का चुनाव काफी रोमांचक रहा। यहां पर नामांकन पंजीयन से लेकर मतगणना तक सर्वाधिक रुचि रखने वाले इस क्षेत्र में पूर्व उपप्रधानमंत्री व जसपा अध्यक्ष उपेंद्र यादव को जनमत पार्टी अध्यक्ष डाॅ. सी.के. राउत ने हरा दिया। जसपा अध्यक्ष यादव को 16 हजार नौ सौ 79 वोट मिले जबकि जनमत अध्यक्ष डाॅ. राउत 35 हजार 42 वोट पाकर जीत गए। यहां के चुनावी परिणाम ने सभी राजनीतिक विश्लेषकों के आकलन को झुठला दिया। किसी को भी यह अंदाजा नहीं था कि डाॅ. सी. के राउत डबल मार्जिन से उपेन्द्र यादव को हरा पाएंगे। वहीं इस क्षेत्र के प्रदेश सभा क्षेत्र संख्या 2(2) से चुनाव लड़ने वाले माओवादी केंद्र सप्तरी के पूर्व मंत्री और अध्यक्ष उमेश कुमार यादव को उनके पूर्व सहयोगी ने हरा दिया। नामांकन पत्र की पूर्व संध्या पर माओवादी केंद्र छोड़कर जनमत पार्टी से उम्मीदवारी दर्ज कराने वाले महेश प्रसाद यादव ने पूर्व मंत्री यादव को हरा दिया।

सबसे ज्यादा अकेले धनुषा में छह पूर्व मंत्रियों की हार हुई। माओवादी केंद्र के उप महासचिव व पूर्व मंत्री मातृका प्रसाद यादव को जनता समाजवादी पार्टी के नेता दीपक कार्की ने धनुषा के निर्वाचन क्षेत्र नंबर 1 से हराया। बता दें कि मातृका 2074 के पिछले चुनाव में 26,418 वोट पाकर जीते थे जबकि कार्की को 17,296 वोट मिले थे। इसी प्रकार धनुषा क्षेत्र संख्या 2 में चुनाव मैदान में उतरे तीन पूर्व मंत्रियों में पूर्व मंत्री व कांग्रेस नेता रामकृष्ण यादव निर्वाचित हुए है, जबकि पूर्व मंत्री उमाशंकर अरागरिया व रामचंद्र झा हार गए। 

वहीं पूर्व मंत्री और लोसपा नेता अनिल कुमार झा धनुषा विधानसभा क्षेत्र नंबर 3 से हार गए हैं। वह पूर्व मंत्री और एमाले नेता जूली कुमारी महतो से चुनाव हारे हैं। महतो को 33,388 वोट मिले जबकि झा को 23,686 वोट मिले। जबकि पूर्व मंत्री और एमाले सचिव रघुवीर महासेठ दूसरी बार धनुषा विधानसभा क्षेत्र नंबर 4 से जीते हैं, जबकि पूर्व मंत्री और कांग्रेस के सह-महामंत्री महेंद्र यादव को हार का सामना करना पड़ा है। महासेठ ने यादव को 142 मतों के अंतर से हराया। महासेठ को 32 हजार 236 मत मिले जबकि यादव को 32 हजार 112 मत मिले।

धनुषा में जहाॅं छह पूर्व मंत्रियों की हार हुई तो सिरहा में भी चार पूर्व मंत्रियों की हार हुई। इनके नाम हैं - पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता पैडमैन नारायण चौधरी, पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता चित्रलेखा यादव, पूर्व मंत्री और माओवादी केंद्र के नेता विश्वनाथ शाह, पूर्व मंत्री धर्मनाथ शाह।

वहीं महोत्तरी में दो पूर्व मंत्री को भी हार का स्वाद चखना पड़ा। महोत्तरी क्षेत्र नंबर एक से मंत्री रह चुके माओवादी केंद्र के उप महासचिव गिरिराजमणि पोखरेल को उनके पिछले प्रतिद्वंदी ने 1030 मतों के अंतर से हरा दिया वहीं पूर्व स्वास्थ्य राज्य मंत्री सुरेंद्र कुमार यादव भी चुनाव हार गए। 

पूर्व मंत्री और लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता राजेंद्र महतो, जिन्होंने धनुषा निर्वाचन क्षेत्र संख्या 3 को छोड़ दिया और सर्लाही निर्वाचन क्षेत्र संख्या 2 से चुनाव लड़ा, उन्हें भी हार का सामना करना पड़ा। नेपाल समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष महेंद्र राय यादव ने उन्हें हराया। 

वहीं बारा विधानसभा क्षेत्र संख्या एक से मौजूदा सरकार के जल मंत्री और कांग्रेस के संयुक्त महामंत्री उमाकांत चैधरी हार गए। पूर्व मंत्री और एमाले नेता एकबाल मियां को एकीकृत समाजवादी नेता कृष्ण कुमार श्रेष्ठ ने निर्वाचन क्षेत्र संख्या 4 से हराया। इसी तरह, पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता सुरेंद्र प्रसाद चैधरी को एमाले के राजकुमार गुप्ता ने परसा निर्वाचन क्षेत्र संख्या 3 से हराया है। 

कुल मिलाकर देखा जाए तो इस बार का चुनाव दिग्गजों के लिए सीख है। विष्लेशक मानते हैं कि चुनाव जीतने के बाद नेता जनता से किए वादे भूल जाते हैं, भाई-भतीजावाद में लिप्त हो जाते हैं, विकास की उपेक्षा करते हैं और सत्ता की तलाश करते हैं, इसलिए मतदाताओं ने इस चुनाव में सत्ता गंवाने वाले नेताओं से किनारा कर लिया है। उधर, इस तरह से चुनाव हारने वाले ज्यादातर पूर्व मंत्रियों ने कहा कि हार पार्टी और गठबंधन के भीतर घात के कारण हुई है।

चूंकि अब परिणाम आ चुका है। ऐसें में सभी पार्टियां अपने दिग्गजों को लेकर जरूर मंथन करेगी कि आखिर पार्टी के भीतर या बाहर क्या चुक हुयी कि उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा। इसके अलावा पार्टी इस बात पर भी फोकस करेगी कि आखिर पार्टी का स्तर कितना सुधरा या कितना बिगड़ा और इसके पीछे के कारण क्या है। 


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