उपेंद्र-सीके राउत की लड़ाई में कहीं जयप्रकाश ठाकुर बाजी न मार लें
आंकड़ों की बात करें तो वि.सं. 2074 के चुनाव में जसपा अध्यक्ष यादव ने माओवादी केंद्र के नेता उमेश कुमार यादव को 21,620 मतों से हराया था। उमेश को सिर्फ 11,580 वोट ही मिले थे। वहीं जयप्रकाश ठाकुर को 10,000 से अधिक वोट मिले। जबकि इससे पहले के चुनाव में चुनावी समीकरण कुछ और था और इस बार कुछ और। इसके अलावा इस बार ठाकुर को सत्ताधारी दलों का समर्थन भी प्राप्त है। इसलिए यहां की जनता ठाकुर को मजबूत उम्मीदवार मानते हैं।
दूसरी ओर, अधिकतर लोगों का यह मत है कि इस बार वास्तव में दोनों अध्यक्षों के बीच ही कड़ा मुकाबला है। हालांकि सप्तरी 2 में देखा जा रहा है कि जसपा अध्यक्ष यादव और जनमत अध्यक्ष राउत के बीच कड़ा मुकाबला होगा। यदि स्थानीय स्तर के चुनाव के वार्ड वोटों को आधार मानें तो जसपा इस क्षेत्र में मजबूत पार्टी है। जसपा ने इस बार एमाले का भी समर्थन किया है। ऐसे में एमाले का वोट उपेंद्र यादव के लिए भी मददगार हो सकता है। बता दें कि जसपा को वार्ड में 14,403 वोट मिले। वहीं कांग्रेस को 10,807 और एकीकृत समाजवादी पार्टी को 10,435 वोट मिले थे। जबकि माओवादी केंद्र को 9 हजार 534 और एमाले को 5 हजार 951 वोट मिले। वहीं राउत की जनमत पार्टी को 4,542 वोट मिले।
यह भी कहा जा रहा है कि यदि सत्ता गठबंधन ईमानदारी दिखाती है तो लोसपा के नेता जय प्रकाश ठाकुर इन दोनों नेताओं को पटखनी दे सकते है। कुल मिलाकर देखा जाए तो राउत ही नहीं ठाकुर भी जसपा अध्यक्ष यादव के लिए कड़ी चुनौती बनकर उभर रहे हैं।
दूसरी ओर, जनमत पार्टी के अध्यक्ष राउत के लिए यह चुनाव सबसे बड़ी चुनौती बन गया है। सीके राउत पहली बार जनता के बीच चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में राउत की चुनावी अनुभव की कमी राउत के लिए ही भारी ना पड़ जाए, ऐसा अंदेशा जताया जा रहा है। यही वजह है कि राजनीतिक विश्लेषक यह मानते हैं कि यह चुनाव उनके लिए कड़ी परीक्षा बन गया है।
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