श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण से होगा आत्म उद्धार - आचार्य पवन शास्त्री जी
बोध गया- पीतरों की मुक्ति का तीर्थ गया में
परम श्रद्धेय आचार्य पवन शास्त्री जी (दैंदरौआ धाम) के श्री मुख से ज्ञान की अविरल
धारा वही। पूज्य आचार्य श्री नें 10 से 16 सितंबर तक भक्तों को बोधगया के कल्याण
रेजिडेंसी में श्रीमद्भागवत के अमृतमयी ज्ञान का रसास्वादन करवाया। इस दौरान
भक्तों की अपार भीड़ कथा स्थल पर नजर आयी । भक्तगण भगवान की विभिन्न लीलाओं का
श्रवण कर धन्य धन्य हो गए।
परम श्रद्धेय आचार्य पवन शास्त्री जी ने कथा के
दैरान भक्तों को सन्मार्ग की ओर मोड़ते हुए उनका मार्गदर्शन किया। पूज्य गुरुदेव
ने श्रीमद्भागवत के कई रोचक और पुण्यदायी प्रसंगों की व्याख्या करते हुए लोगों को
सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी। श्रद्धेय आचार्य श्री ने प्रसंग सुनाते हुए कहा
कि धन से लोभ - मोह औरआसक्ति बढ़ती है।
धन का उपयोग जोविकोपार्जन के लिए जरूरी है लेकिन धन के साथ बुद्धि और विवेक का भी
सामंजस्य होना चाहिए नहीं तो धन लोभ को जन्म देता है। आचार्य श्री ने मनुष्य जीवन
की महत्ता को दर्शाते हुए कहा कि आज मनुष्य व्यर्थ के कार्यों में अपना समय जाया
कर रहा है। वो आसक्ति में इस प्रकार से डूबा है कि उसे हरि नाम के सुमिरण का भी
समय नहीं मिलता। दिन रात घर के बोझों को गधे की भांती ढोता रहता है जिसे देखकर गधा
भी कहता होगा कि अरे मनुष्य तुझसे अच्छे तो हम ही हैं। श्रद्धेय आचार्य श्री के
श्रीमुख से उद्धृत विभिन्न प्रसंगों को सुनकर श्रद्धालुओं ने धर्म लाभ उठाया साथ
ही भगवान श्री कृष्ण की विभिन्न लीलाओं को सुनकर श्रद्धालु भावविभोर हो गए।
पितरों की शांति और जनकल्याणार्थ आयोजित इस कथा
में श्रद्धालुओं ने अपने पितरों के निमित्त श्रीमद्भागवत का मूल पाठ करवाकर अक्षय
पुण्य का बंध किया।
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