क्यूँ मनाई जाती है ‘हनुमान जयंती’? (वीडियो सहित)
क्या आपको मालूम है कि हनुमान जयंती पर्व वर्ष में दो बार मनाया जाता है और इसके अलग-अलग मान्यताओं तथा उद्देश्य के बारे में। आइए हम आपको बताते हैं कि ऐसा क्यों होता है?
Video - https://youtu.be/ftFQVvg2Rc8
भगवान हनुमान हिन्दू धर्म के अनुयायियों के द्वारा माने जाने वाले काफी लोकप्रिय भगवान हैं। हनुमान जयंती पर्व लोगों के द्वारा पूरे जोश और उत्सुकता के साथ मनाया जाता है।
मान्यता यह है कि एक तिथि की हनुमान जयंती भगवान हनुमान जी के जन्मदिवस के तौर पर मनाया जाता है जबकि दूसरी तिथि की हनुमान जयंती विजय अभिनंदन समारोह के तौर पर मनाई जाती है।
हनुमान जयंती कब मनाई जाती है?
पहली हनुमान जयंती ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार हर वर्ष मार्च या अप्रैल के माह में मनाई जाती है। जबकि दूसरी हनुमान जयंती कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मंगलवार के दिन मनाई जाती है क्योंकि महर्षि वाल्मीकि के द्वारा रचित रामायण के अनुसार हनुमान जी का जन्म कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मंगलवार के दिन स्वाति नक्षत्र और मेष लग्न के दिन हुआ था।
हालांकि इनमें मार्च अप्रैल माह में मनाई जाने वाली हनुमान जयंती अधिक लोकप्रिय है।
आखिर हनुमान जयंती क्यों ?
हनुमान जी को पुराणों के अनुसार भगवान शिव का 11वां अवतार माना जाता है। हनुमान जी का जन्म माता अंजनी की कोख से हुआ था। हनुमान जी को बहुत से नामों से जाना जाता है जिसमें से मुख्य नाम हैं अंजनिपुत्र, महाबली, बजरंगबली आदि हैं।
ऐसी मान्यता है कि जब हनुमान जी का जन्म हुआ था तो उन्हें बहुत जोरों की भूख लग गयी थी तो वे सूर्य को फल समझ कर उसे खाने के लिए सूर्य की तरफ बढ़े। उसी दिन राहु भी अपना ग्रास बनाने के लिए सूर्य की तरफ आ रहा था इसीलिए सूर्यदेव ने हनुमान जी को राहु समझ लिया था।
वहीं दूसरी हनुमान जयंती दीपावली के दिन मनाई जाती है। इस दिन हनुमान जयंती मनाये जाने के पीछे यह मान्यता है कि माता सीता ने हनुमान जी के समर्पण और भक्ति को देखकर उन्हें अमरता का वरदान दिया था। जिस दिन माता सीता ने वरदान दिया था उस दिन दीपावली थी। इसलिए दीपावली के दिन भी हनुमान जयंती मनाई जाती है।
हनुमान जी बाल ब्रह्मचारी थे इसीलिए हनुमान जयंती के दिन हनुमान जी की मूर्ति को जनेऊ धारण कराया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार हनुमान जी ने श्रीराम की लंबी उम्र के लिए अपने पूरे शरीर में सिन्दूर चढ़ा लिया था जिसे चोला कहा जाता है।
माना जाता है कि चोला हनुमान जी को बहुत प्रिय था इसलिए इस दिन भगवान हनुमान जी की मूर्ति में चोला चढ़ाया जाता है और कुछ भक्त खुद को भी चोला चढ़ा लेते हैं। इस दिन तुलसीदास द्वारा रचित रामचरित मानस का भी पाठ किया जाता है।
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