मसालों के बादशाह माहेश्वरी धर्मपाल गुलाटी का निधन
ज्ञात हो कि माहेश्वरी धर्मपाल गुलाटी का जन्म 1923 में पाकिस्तान में हुआ था। इनके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। धर्मपाल पढ़ाई में कमजोर थे और पांचवीं कक्षा में फेल हो गए थे। इसके बाद इन्होंने स्कूल जाना छोड़ दिया था। धर्मपाल के पिता ने इन्हें काम सिखाने के लिए दुकान पर भेजना शुरू कर दिया था। लेकिन इनका किसी भी कार्य में मन नहीं लगता था और 15 साल की उम्र तक इन्होंने काफी सारे काम बदले थे। सियालकोट लाल मिर्च के लिए मशहूर था इसीलिए इनके पिता ने एक छोटी सी दुकान खुलवा दी थी। धीरे-धीरे यह दुकान अच्छे से चलने लगी थी। 1947 में देश आजाद होने के बाद सियालकोट को पाकिस्तान का हिस्सा बना दिया गया था। इसके बाद धर्मपाल और इनके परिवार वाले पाकिस्तान छोड़कर दिल्ली आ गए थे। जब वो पाकिस्तान छोड़ कर दिल्ली आए थे तो इनके पास सिर्फ 1500 रुपये थे। उन्होंने 650 रुपए में घोड़ा गाड़ी खरीदी और फिर उसी से गुजारा करने लगे फिर उन्हें लगा कि इतने पैसे से कुछ नहीं हो सकता है। उन्हें मसाले का अच्छा ज्ञान था और उन्होंने मसाले पीस कर बेचने शुरू कर दिया और शुद्ध मसालों के कारण उनका व्यापार बढ़ता गया। अपनी मेहनत और लगन की वजह उन्होंने 1996 में दिल्ली में मसाले की फैक्ट्री खोली थी।
धीरे-धीरे उन्होंने काफी सारी सफलता हासिल कर ली। जिसका नतीजा है कि आज MDH पूरे विश्व भर में एक बड़ी कंपनी बन चुकी है। इनके मसाला को दुनिया भर के 100 से ज्यादा देशों में सप्लाई किया जाता है।
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