'माँ लक्ष्मी' के बारे में 11 दिलचस्प बातें, जो शायद ही आप जानते हों (वीडियो सहित)
दुनिया भर में क्रिसमस के बाद दीपावली ही दूसरा ऐसा त्योहार है जो दुनियाभर में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार बौद्ध, जैन, सिख धर्म के लोग भी मनाते हैं। दिवाली को लक्ष्मी देवी के पर्व के तौर पर देखा जाता है, देवी लक्ष्मी से जुड़े कई तरह के कथा प्रचलित रहे हैं। चलिए जानते हैं मां लक्ष्मी जी के बारे में दिलचस्प बातें:-
1. लाल कपड़ों में आभूषणों से सजी, कमल पर बैठी, सोने और अनाज से भरा बर्तन हाथों में लिए लक्ष्मी सुख, समृद्धि, शक्ति की देवी है जिसे संस्कृति प्रकृति से प्राप्त करती है।
वीडियो - https://youtu.be/y4GeD_QGHzU
2. वह सम्मोहक और चंचल हैं। उन्हें हमेशा पास रखना अपने आप में एक संघर्ष है। दुर्लभ और बहुमूल्य हाथी उन पर पानी की बौछार करते हैं।
3. उनकी बगल में उनकी जुड़वां बहन अलक्ष्मी बैठती हैं जो गरीबी, दुख और दुर्भाग्य की देवी हैं। जैसे कोई भी शानदार चीज बिना कचरा पैदा किए नहीं बनती, वैसे ही लक्ष्मी के साथ हमेशा अलक्ष्मी भी होती हैं।
लक्ष्मी और अलक्ष्मी दोनों बहनों ने एक व्यापारी से पूछा कि दोनों में से कौन अधिक सुंदर है। व्यापारी को पता था कि किसी भी एक को नाराज करने का क्या नतीजा निकलेगा। इसलिए समझदार व्यापारी ने कहा, लक्ष्मी घर में आती हुई अच्छी लगती हैं जबकि अलक्ष्मी घर से बाहर जाती हुई। लोग कहते हैं कि यही वजह है कि लक्ष्मी व्यापारियों पर कृपालु रहती है।
4. लक्ष्मी का संबंध मिष्ठान्न से है जबकि अलक्ष्मी का संबंध खट्टी और कड़वी चीजों से। यही वजह है कि मिठाई घर के भीतर रखी जाती है जबकि नीबू और तीखी मिर्ची घर के बाहर टँगी हुई देखी जाती है।
लक्ष्मी मिठाई खाने घर के अंदर आती हैं जबकि अलक्ष्मी द्वार पर ही नींबू और मिर्ची खा लेती हैं और संतुष्ट होकर लौट जाती हैं। दोनों को ही स्वीकार किया जाता है पर स्वागत एक का ही होता है।
5. लक्ष्मी के दो रूप हैं, भूदेवी और श्रीदेवी। भूदेवी धरती की देवी हैं और श्रीदेवी स्वर्ग की देवी। पहली उर्वरा से जुड़ी हैं, दूसरी महिमा और शक्ति से।
भूदेवी सोने और अन्न के रूप में वर्षा करती है। दूसरी शक्तियां, समृद्धि और पहचान देती हैं। भूदेवी सरल और सहयोगी पत्नी हैं जो अपने पति विष्णु की सेवा करती है।
श्रीदेवी चंचल है। विष्णु को हमेशा उन्हें खुश रखने के लिए प्रयास करना पड़ता है। अगर विष्णु राजा हैं तो भूदेवी साम्राज्य और श्रीदेवी उनका मुकुट, उनकी राजगद्दी हैं।
6. दीपावली पर कहीं-कहीं जुआ भी खेला जाता है। इसका प्रधान लक्ष्य वर्ष भर के भाग्य की परीक्षा करना है। इस प्रथा के साथ भगवान शंकर तथा पार्वती के जुआ खेलने के प्रसंग को भी जोड़ा जाता है, जिसमें भगवान शंकर पराजित हो गए थे।
7. दीपावली के दूसरे दिन व्यापारी अपने पुराने बहीखाते बदल देते हैं। वे दूकानों पर लक्ष्मी पूजन करते हैं। उनका मानना है कि ऐसा करने से धन की देवी लक्ष्मी की उन पर विशेष अनुकंपा रहेगी।
8. किसानों के लिये इस पर्व का विशेष महत्त्व है। खरीफ की फसल पक कर तैयार हो जाने से कृषकों के खलिहान समृद्ध हो जाते हैं। कृषक समाज अपनी समृद्धि का यह पर्व उल्लासपूर्वक मनाता हैं।
9. दीपावली के दिन आतिशबाजी की प्रथा के पीछे धारण यह है कि दीपावली-अमावस्या से पितरों की रात आरम्भ होती है। कहीं वे मार्ग भटक न जाएं, इसलिए उनके लिए प्रकाश की व्यवस्था इस रूप में की जाती है। इस प्रथा का बंगाल में विशेष प्रचलन है।
10. रात्रि की ब्रह्मबेला अर्थात प्रातःकाल चार बजे उठकर स्त्रियां पुराने सूप में कूड़ा रखकर उसे दूर फेंकने के लिए ले जाती हैं तथा सूप पीटकर दरिद्रता भगाती हैं। सूप पीटने का तात्पर्य यह है कि आज से लक्ष्मीजी का वास हो गया। दुख दरिद्रता का सर्वनाश हो। फिर घर आकर स्त्रियां कहती हैं- इस घर से दरिद्र चला गया है। हे लक्ष्मी जी! आप निर्भय होकर यहाँ निवास करिए।
11. सिक्खों के लिए भी दीवाली महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इसी दिन ही अमृतसर में वर्ष 1577 में स्वर्ण मन्दिर का शिलान्यास हुआ था। इसके अलावा 1619 में दीवाली के दिन सिक्खों के छठे गुरु हरगोबिन्द सिंह जी को जेल से रिहा किया गया था।
Leave Comments
एक टिप्पणी भेजें