कौन-सा फूल किस भगवान को चढ़ाना चाहिए ? (वीडियो सहित) - Nai Ummid

कौन-सा फूल किस भगवान को चढ़ाना चाहिए ? (वीडियो सहित)


हिंदू धर्म में फूलों का विशेष महत्व है। धार्मिक अनुष्ठान, पूजन, आरती आदि कार्य बिना फूल के अधूरा ही माना जाता हैं। कहा गया है- देवता का मस्तक सदैव पुष्प से सुशोभित रहना चाहिए। इसमें हम आपको बताने जा रहे हैं कि किस देवी-देवता को कौन सा फूल चढ़ाना चाहिए।

वैसे तो किसी भी भगवान को कोई भी फूल चढ़ाया जा सकता है, लेकिन कुछ फूल देवताओं को विशेष प्रिय होते हैं। इन फूलों का वर्णन विभिन्न धर्म ग्रंथों में मिलता है। मान्यता है कि देवताओं को उनकी पसंद के फूल चढ़ाने से वे अति प्रसन्न होते हैं और साधक की हर मनोकामना पूरी कर सकते हैं। चलिए जानते हैं किस देवी देवता को कौन सा फूल चढ़ाना चाहिए।

वीडियो यहाँ देखे - https://youtu.be/-Y7reD_3lz8


सबसे पहले बात करते हैं भगवान श्रीगणेश के बारे में ग्रंथ के अनुसार, भगवान श्रीगणेश को तुलसीदल को छोड़कर सभी प्रकार के फूल चढाएं जा सकते हैं। पद्मपुराण आचाररत्न में भी लिखा है कि ‘न तुलस्या गणाधिपम’ अर्थात् तुलसी से गणेश जी की पूजा कभी न करें। गणेश जी को दूर्वा चढ़ाने की परंपरा है। गणेश जी को दूर्वा बहुत ही प्रिय है। दूर्वा के ऊपरी हिस्से पर तीन या पांच पत्तियां हों तो बहुत ही उत्तम है।

2. भगवान शिव की बात की जाए तो भगवान शंकर को धतूरे के फूल, हरसिंगार, व नागकेसर के सफेद पुष्प, सूखे कमल गट्टे, कनेर, कुसुम, आक, कुश आदि के फूल चढ़ाने का विधान है। भगवान शिव को केवड़े का पुष्प नहींं चढ़ाया जाता है।

3. जहां तक भगवान विष्णु की बात करें तो इन्हें कमल, मौलसिरी, जूही, कदम्ब, केवड़ा, चमेली, अशोक, मालती, वासंती, चंपा, वैजयंती के पुष्प विशेष प्रिय हैं। विष्णु भगवान तुलसी दल चढ़ाने से अति शीघ्र प्रसन्न होते हैं। कार्तिक मास में भगवान नारायण केतकी के फूलों से पूजा करने से विशेष रूप से प्रसन्न होते हैं। लेकिन विष्णु जी पर आक, धतूरा, शिरीष, सहजन, सेमल, कचनार और गूलर आदि

4. सूर्य नारायण - इनकी उपासना कुटज के पुष्पों से की जाती है। इसके अलावा कनेर, कमल, चंपा, पलाश, आक, अशोक आदि के पुष्प भी इन्हें प्रिय हैं।

5. भगवान श्रीकृष्ण - अपने प्रिय पुष्पों का उल्लेख महाभारत में युधिष्ठिर से करते हुए श्रीकृष्ण कहते हैं- मुझे कुमुद, करवरी, चणक, मालती, पलाश व वनमाला के फूल प्रिय हैं।

6. गौरी - शंकर भगवान को चढऩे वाले पुष्प मां भगवती को भी प्रिय हैं। इसके अलावा बेला, सफेद कमल, पलाश, चंपा के फूल भी चढ़ाए जा सकते हैं।

7. लक्ष्मीजी - मां लक्ष्मी का सबसे अधिक प्रिय पुष्प कमल है। उन्हें पीला फूल चढ़ाकर भी प्रसन्न किया जा सकता है। इन्हें लाल गुलाब का फूल भी काफी प्रिय है।

8. हनुमान जी - इनको लाल पुष्प बहुत प्रिय है। इसलिए इन पर लाल गुलाब, लाल गेंदा आदि के पुष्प चढ़ाए जा सकते है।

9. माँ काली - इनको अड़हुल का फूल बहुत पसंद है। मान्यता है की इनको 108 लाल अड़हुल के फूल अर्पित करने से मनोकामना पूर्ण होती है।

10. माँ दुर्गा - इनको लाल गुलाब या लाल अड़हुल के पुष्प चढ़ाना श्रेष्ठ है।

11. माँ सरस्वती - विद्या की देवी माँ सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए सफेद या पीले रंग का फूल चढ़ाएं जाते हैं। सफेद गुलाब, सफेद कनेर या फिर पीले गेंदे के फूल से भी मां सरस्वती बहुत प्रसन्न होती हैं।

12. शनि देव - शनि देव को नीले लाजवन्ती के फूल चढ़ाने चाहिए, इसके अतिरिक्त कोई भी नीले या गहरे रंग के फूल चढ़ाने से शनि देव शीघ्र ही प्रसन्न होते है।

कमल के फूल को लेकर मान्यता यह है कि यह फूल दस से पंद्रह दिन तक भी बासी नहीं होता। वही चंपा की कली के अलावा किसी भी पुष्प की कली देवताओं को अर्पित नहीं की जानी चाहिए।

आमतौर पर फूलों को हाथों में रखकर हाथों से भगवान को अर्पित किया जाता है। ऐसा नहींं करना चाहिए। फूल चढ़ाने के लिए फूलों को किसी पवित्र पात्र में रखना चाहिए और इसी पात्र में से लेकर देवी-देवताओं को अर्पित करना चाहिए।

तुलसी के पत्तों को 11 दिनों तक बासी नहीं माना जाता है। इसकी पत्तियों पर हर रोज जल छिड़कर पुनः भगवान को अर्पित किया जा सकता है। शास्त्रों के अनुसार, शिवजी को प्रिय बिल्व पत्र छह माह तक बासी नहीं माने जाते हैं। अतः इन्हें जल छिड़क कर पुनः शिवलिंग पर अर्पित किया जा सकता है।


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