औषधीय गुणों से भरपूर ‘बालम खीरा’ आखिर है क्या चीज? (वीडियो सहित)
हमारे आस-पास प्रकृति ने बहुत कुछ दे रखा होता है। लेकिन हमें पता नहीं होता। जी हां, आपने खीरा का नाम तो जरूर सुना होगा जो कि लता के रूप में यानि लत्तियों के रूप में उपजता है। लेकिन आज हम ऐसे खीरे की बात करेंगे जिसका पेड़ होता है न कि यह लता के रूप में उपजता है और इस खास खीरे को बालम खीरा के नाम से जाना जाता है।
तो चलिए अब बात करते हैं खीरा यानि बालम खीरा के बारे में। जो पूर्ण रूप से एक औषधीय वृक्ष है। इसका फल पथरी की चिकित्सा में विशेष प्रयुक्त होता है। फल के साथ-साथ इसकी पत्तियाँ, छाल, पुष्प एवं जड़ भी औषधि के रूप में प्रयुक्त होती है। इसे पार्कों की शोभा बढ़ाने के लिए भी रोपा जाता है।
बालम खीरा का पेड़: - बालम खीरा का पेड़ पश्चिम अफ्रीका का मूल फल रहा है। लेकिन इस वीडियो में हम नेपाल के सप्तरी जिला के राजविराज के गोरगामा में स्थित बालम खीरा पेड़ दिखा रहे हैं। यह पेड़ खीरा या सासेज पेड़ के रूप में जाना जाता है।
बालम खीरा पेड़ की ऊंचाई लगभग 10-20 मीटर, वसंत ऋतु में फूल आते है, फूल अनियमित घंटी के आकार का, फल आयताकार 30-50 सेमी लंबा और कई महीने तक डंठल पर लटकता रहता है। जो एक सींक पर सात या नौ पत्तियाँ होती हैं। और इसका फल बड़े आकार का औसतन 0.6 मीटर लंबाई और 4 किग्रा वजन का खीरा जैसा होता है! इसके फल रेशेदार डंठल पर लंबे लटके होते है। इसका फूल बड़ा लाल रंग और बाहर से पीले रंग का लाल फूल होता है। इस पड़े के कचे फल खाने के रूप मे उपयोग नहीं किये जा सकते क्योंकि ये जहर के समान है! बालम खीरा के फल का उपयोग सूखा कर कम मात्रा मे किया जाता है।
बालम खीरा नेपाल सहित पूरे भारत में खासकर दिल्ली, पश्चिम बंगाल और दक्षिण भारत में पाया जाता है। हिंदी मे इसे बालम खीरा, पहाड़ी खीरा और झार फनूस के नाम से जाना जाता है।
लोग अपने आस-पास के चीजों को नजरंदाज कर देते है। उसके महत्व को नहीं पहचानते। शारीरिक कमजोरी, नपुंसकता मुहांसे, न्यूमोनिया, बुखार, घाव और कई बिमारियों को जड़ से खत्म कर सकता है। इसके अन्दर भरपूर मात्रा में कई सारे पोषक तत्व मौजूद हैं जो सेहत के लिए बहुत ही ज्यादा फायदेमंद होते है। आईए अब जानते है कि आखिर बालम खीरा खास कैसे बन जाता है।
बालम खीरा जहरीला है इसका उपयोग सोच समझ कर करे! प्रयोग करने से पहले किसी जानकार वेद या अपने डाक्टर से जरूर सलाह लें।
कहा जाता है कि यह 100 से ज्यादा बीमारियों को जड़ से खत्म कर देता है। इस पौधे का पूरा भाग औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है। बालम खीरा, गुर्दे की पथरी, त्वचा रोग, पेचिश, पेरसिटिक इनफेस्टेशन, प्रसवोत्तर रक्तस्राव, मधुमेह, निमोनिया, दांत दर्द, गठिया, सीएनएस अवसाद, कृमि प्रकोप, यौन संक्रमण आदि के उपचार में प्रयोग किया जाता है।
अगर किस व्यक्ति के पथरी हो रही हो तो यह फल उस व्यक्ति के लिए किसी रामबाढ़ से कम नहीं है। यह आपकी पथरी को बहुत ही आसानी से बहार निकल देगा। पथरी को बाहर निकालने के लिए आपको बालम खीरा को अच्छी तरह से सुखाना है और फिर उसे अच्छी तरह से पीसकर उसका चूर्ण बना लेना है और इस चूर्ण में एक चम्मच काला नमक मिलाकर हर रोज रात को सोते हुए 5 ग्राम पानी के साथ लेना है। कुछ ही दिनों में आपकी पथरी बाहर निकल जाएगी।
किसी व्यक्ति या किसी बच्चे को बुखार या निमोनिया रोग हो गया है तो उस व्यक्ति को बालम खीरा की छाल को पीसकर सुबह के समय खाली पेट पिलानी चाहिए। यह बुखार और निमोनिया में बहुत ही जल्दी असर करेगा। बालम खीरा के पत्तों को पीसकर यदि सफेद निशानों पर लगाते हैं तो यह निशान गायब हो जाता है।
चिकित्सा में जड़, छाल, पत्ते, ताना और फल का उपयोग पाचन विकार के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है। पेड़ के विभिन्न हिस्से आंतरिक रूप से और बाहर से इस्तेमाल किए जा रहे हैं। अफ्रीका के कुछ हिस्सों में, सासेज पेड़ के फल भुना कर खाये जाते है। इसका उपयोग अल्सर के लिए भी किया जाता है।
अफ्रीका में, फल रेचक के रूप में और पेचिश के लिए इस्तेमाल किया जाता है और यह मुँहासे के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। घाव और अल्सर के लिए फल पाउडर। पाउडर कीटाणुनाशक के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है। फलों का पाउडर या स्लाइस स्तन मजबूती के लिए इस्तेमाल किया जाता है। स्तनों की सूजन को कम करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। कुछ और उपयोगों के बारे में जानते हैं -
- रूट/छाल कैंसर या गर्भाशय के लिए इस्तेमाल किया गया है।
- कड़वा छाल दोनों उपदंश और सूजाक के लिए इस्तेमाल होता है।
- छाल गठिया और पेचिश के लिए प्रयोग किया जाता है।
- टोंगस अल्सर के लिए फल पाउडर लेप के रूप मे उपयोग करें।
- कच्चा फल गठिया और उपदंश के लिए लेप के रूप में प्रयोग किया जाता है।
- छाल या जड़ों पाउडर निमोनिया के इलाज के लिए, पत्ता पीठदर्द के लिए लेप के रूप मे उपयोग करे।
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