नेपाल में प्रतिदिन 6 महिलाएं होती है बलात्कार की शिकार
विश्व में जहां बलात्कार की घटना रूकने का नाम नहीं ले रही है तो वहीं इस मामले में नेपाल भी किसी देश से कम नहीं है। यहां पर भी बलात्कार की घटनाओं पर ब्रेक नहीं लग पा रहा है। इस मामले में नेपाल के गृहमंत्री रामबहादुर थापा ने 30 सितंबर को संसद के राज्यव्यवस्था समिति की बैठक में अपनी बात रखते हुए कहा था कि बलात्कार की घटना में विश्व परिवेश के नजर में नेपाल अभी काफी पीछे है। सवा दो सौ देश की अवस्था के अवलोकन में अधिक चिंतन करने की अवस्था नहीं है। गृहमंत्री के इस कथन पर देश में काफी वाद-प्रतिवाद भी हुआ। और कहा गया कि आखिर देश में बलात्कार के न्यूनीकरण पर क्यों नहीं जोर दिया जा रहा है। इसका न्यूनिकरण जमीनी धरातल पर क्यों नहीं उतरता। बलात्कार के मामले समाज के लिए अभिशाप है।
आंकड़ों पर नजर डालें तो पुलिस प्रधान कार्यालय के तथ्यांक के मुताबिक, नेपाल में एक वर्ष में 2 हजार महिला बलात्कार की शिकार हुयी है। यानि प्रतिदिन लगभग 6 महिलाओं को बलात्कार जैसी जघन्य समस्याओं से जूझना पड़ता है। पिछले दो वर्ष में देशभर में 4,441 महिला बलात्कृत हुयी। जिसमें से 13 महिला का बलात्कार के बाद हत्या कर दी गयी।
तथ्यांक के मुताबिक, वि.सं. 2075-76 में नेपाल में कुल 2,230 महिलाएं बलात्कार की शिकार हुयी जिसमें से 11 को बलात्कार के बाद हत्या कर दी गयी। वहीं 2076-77 में 2,184 महिलाओं का बलात्कार किया गया जिसमें से दो को बलात्कार के बाद मार दिया गया। लेकिन ध्यान देने योग्य बात यह है कि ये आंकड़े वास्तविक नहीं होते क्योंकि कई सारे मामले स्थानीय स्तर पर ही सुलझा लिया जाता है और मामला पुलिस तक पहुंचता ही नहीं। यदि सभी बलात्कार की घटनाओं को दर्ज किया जाए तो आंकड़े और भी भयावह होंगे।
यदि बलात्कार घटनाओं को राज्यवार देखें तो नेपाल के प्रदेश-1 में बलात्कार की घटनाओं में सबसे अधिक कमी देखा गया। पिछले दो वर्ष में प्रदेश 1 में 992 महिलाएं बलात्कृत हुयी। पुलिस के तथ्यांक मुताबिक, सबसे अधिक बलात्कार की घटना घटनेवाले प्रदेशों की सूची में प्रदेश 5 दूसरे नंबर पर है। इसी प्रकार प्रदेश 5 में पिछले दो वर्ष में 707 महिलाएं बलात्कार की शिकार हुयी।
इस अवधि में प्रदेश २ में 588, बागमती में 486, गण्डकी में 342 और सुदूरपश्चिम प्रदेश में 370 महिलाएं बलात्कार की शिकार हुयी। वहीं कर्णाली प्रदेश में सबसे कम बलात्कार की घटना को अंजाम दिया गया। पिछले दो वर्ष में यहां पर 279 महिलाएं को बलात्कार की घटनाओं का सामना करना पड़ा।
पुलिस प्रवक्ता एसएसपी कुवेर कडायत की मानें तो कर्णाली प्रदेश में घटनाएं बाहर नहीं आ पाता इसलिए तथ्यांक में कमी देखी जा सकती है।
वहीं काठमांडू उपत्यका की बात करें तो यहां पर पिछले दो वर्षों में 563 महिलाओं को बलात्कार से सामना करना पड़ा जिसमें से एक को बलात्कार के बाद मार दिया गया। यहां पर 2075-76 में 297 महिलाएं बलात्कार की शिकार हुयी जबकि पिछले वर्ष 267 महिलाओं को बलात्कार की समस्या से जूझना पड़ा।
कुल मिलाकर देखा जाए तो कडायत के अनुसार नेपाल में वार्षिक रूप में 10 प्रतिशत की दर से बलात्कार की घटनाओं में बढ़ोत्तरी हो रही है।
पुलिस प्रवक्ता एसएसपी कुवेर कडायत कहते हैं ‘घटना घटने के 35 दिन के अंदर ही पुलिस कार्यालय में केस दज कराना होता है। केस दर्ज कराने में लोग ढ़िलाई करते हैं और बलात्कारियों की आर्थिक अवस्था मजबूत होने के कारण अक्सर घटनाएं बाहर नहीं आ पाती।’
लोग स्थानीय स्तर पर बलात्कार की घटनाओं को सुलझाने पर ज्यादा जोर देने लग जाते हैं। जिससे बलात्कार के केस पुलिस तक पहुंचने में काफी समय लग जाता है और कई मामलों में उसे पुलिस तक पहुंचने ही नहीं दिया जाता।
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