खुशी की खबर: कोरोना काल में कैदियों की अब होगी बल्ले-बल्ले
कोरोना महामारी जिस तेजी से अपना पैर फैला रहा है, उससे हर क्षेत्र सशंकित है। ऐसे में न्याय क्षेत्र में अदालत हो या फिर कारागार सभी जगह कोरोना संक्रमण अपना पैर जमा रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए नेपाल का सर्वोच्च अदालत ने यह आदेश दिया है कि नेपाल के जेल में क्षमता से अधिक कैदियों की संख्या को घटाया जाए।
बता दें कि नेपाल में जेल की क्षमता केवल 18 हजार लोगों को रखने की है जबकि अब तक देशभर के सभी जेलों को मिलाकर करीब 24,100 कैदी हैं। जिसमें से अब तक 118 कैदियों में कोरोना संक्रमण पाया गया है। और यह क्रम लगभग जारी ही है। वहीं कोरोना संक्रमण से पाँच व्यक्ति की जान जा चुकी है।
ऐसे में कोरोना के जोखिम के कारण कैदियों के बीच सोशल डिस्टेंस के नियम का पालन करने के लिए वैकल्पिक सजाय के उपायों को अमल में लाने की जरूरत को ध्यान में रखते हुए सर्वोच्च अदालत ने यह आदेश दिया। क्षमता से अधिक कैदियों के होने की वजह से न केवल कोरोना का खतरा है बलिक कैदियों के स्वास्थ्य के अधिकार का भी हनन होता है।
गोपाल सिवाकोटी, राम शर्मा, मानबहादुर रावत सहित सात कैदियों द्वारा दायर रिट निवेदन के ऊपर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश सपना प्रधान मल्ल और प्रकाश कुमार ढुंगाना की बेंच ने कैदियों की सजा में छूट देने का कानूनी प्रावधानों को कार्यान्वयन करने के लिए कहा है।
अब सवाल उठता है किस प्रकार के कैदियों को यह छूट मिलेगी और किसे नहीं। इस आदेश में कहा गया है कि 10 सितंबर, 2020 को सार्वजनिक किए गए फैसला के पूर्ण पाठ में नकारात्मक सूची में रहने वालों को छोड़कर अन्य अभियोग में सजा काट रहे कैदियों को छूट देने मिलने तक की व्यवस्था की जाए।
कारागार में भीड़भाड़ को कम कर वैकल्पिक कारागार प्रणाली का प्रयोग कर फौजदारी कसूर (सजा निर्धारण तथा कार्यान्वयन) ऐन, 2074 की दफा 28 के अंतर्गत खुले कारागार की व्यवस्था दफा 30 के सामाजीकरण कराने की व्यवस्था और दफा 31 के कैद की जगह पर शारीरिक श्रम में लगाने की व्यवस्था के कार्यान्वयन का निमित्त आवश्यक शर्त, प्रक्रिया, कार्यविधि एक महिना के अंदर तैयार किया जाए।
इसी प्रकार सामुदायिक सेवा में लगा सकने, सजा निलम्बन कर सकने, सप्ताह के अन्तिम दिन या रात्रिकालीन समय में केवल कारागार में रहकर कैद भुक्तान कर सकने जैसी सुविधा कार्यान्वयन के लिए कानून अनुसार सात दिन के अंदर राजपत्र में सूचना प्रकाशित कर कार्यान्वयन में लाने का आदेश दिया गया है।
इसी क्रम में छूट न होने वालों को छोड़कर कसूर में सजा काट रहे 65 वर्ष से ऊपर के ज्येष्ठ नागरिक की संख्या निर्धारण कर प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाय।
इस आदेश के प्राप्त होने के 3 दिन के अंदर कैद सजा छूट होने वाले ज्येष्ठ नागरिक की संख्या अद्यावधिक कर कराने की बात कहते हुए सर्वोच्च अदालत ने कारागार व्यवस्थापन विभाग, कालिकास्थान के नाम में परमादेश जारी किया।
इतना ही नहीं अभी तक के कोरोना संक्रमण और इसके फैलाव के जोखिम को ध्यान में रखते हुए उचित और तत्काल निर्णय किया जाए, इस आदेश को प्राप्त होने के 10 दिन के अंदर कानून द्वारा तय उम्र सीमा अनुसार सजा छूट पा सकने वाले कारागार के कैदियों को कारागार विभाग द्वारा लाए गए सूची में उम्र और कसूर की गम्भीरता को देखते हुए ज्येष्ठ नागरिक की कैद छूट के लिए नेपाल सरकार गृह मन्त्रालय के नाम पर परमादेश जारी किया गया है।
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